ये प्रांशू हैं। पिलास्टिक का मग्घा पाकर खुश हैं। एक उद्धव भैया हैं, उप मुख्यमंत्री की कुर्सी और आधा राजपाट मिलने के बाद भी खुश नहीं। खैर, हमको क्या। हमको तो इन भैया से मतलब। अभी गेहूं बोने के लिए खेत की छपाई कर रहे हैं, मतलब पानी लगा रहे हैं, मतलब सिंचाई कर रहे हैं। इनके साथ इनकी छोटी बहन प्रियांशी और अम्मा भी हैं। दुकान से बिस्कुट लेने गए थे, हमको रास्ते मे मिल गए। इनका कप नीले रंग का है तो जाहिर है कि प्रियांशी का कप ज्यादा चमकदार गुलाबी रंग का होगा। प्रियांशी की अ म्मा की ख़ुशी भले आप घूँघट की वजह से देख न पा रहे हों, पर वह हैं। उधर ऊधौ भैया के दुलरुआ को चाहे सोने का कप दे दो तो भी वह खुश न होंगे। खैर, हमको क्या करना जी। अपुन तो बस अईसेइच ख़ुश है।