आज संविधान दिवस पर सवाल यह है कि जब जनता ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था तो महामहिम ने अजित दादा को सत्ता पर कब्जा क्यों दिया?
श्रीमान फणनवीस जी ने हर रैली मे ' दादा को जेल भिजवाईंग और चक्की पिसाईंग ' का भाषण पिला कर वोट मांगा। जनता ने उनको और उद्धव को सीटें इसीलिए दीं कि हजारों करोड़ के सिंचाई घोटालों मे कथित तौर पर संलिप्त अजित दादा को जेल भेजा जाये। बहुत लोगों ने इसलिए भी भाजपा-शिवसेना को वोट किया कि हमारे युगपुरुष मोदी जी के ' न खाऊँगा न खाने दूंगा ' वाले जुमले पर उनको विश्वास था।
सत्ता के लिए लार टपकाते दूसरे धड़े का भी यही हाल है। जब आप ने एक दूसरे की कमियाँ गिनाकर, गालियां देकर वोट मांगे तो अब गलबहियाँ कैसे कर सकते हैं?
उत्तर है : संविधान इसकी इजाज़त देता है।
जब कि होना यह चाहिए कि चुनाव पूर्व गठबंधन मे अगर सत्ता की मलाई बांटने मे सहमति नहीं बनती तो सभी को वापस जनता की राय लेनी चाहिए, अनिवार्य रूप से।
चुनाव के बाद किसी भी तरह का गठबंधन अनैतिक है। अगर हमारा संविधान इस अनैतिकता को न्यायसम्मत मानता है तो उसमें संशोधन की आवश्यकता है।
आखिर लोकतन्त्र मे लोगों द्वारा लोगों के लिए, लोगों की सरकार होती है। जनता की इच्छा ही सर्वोपरि है।
है न मालिक?
एक बात और, ये जो महाराष्ट्र में महानाटक चल रहा है और चतुर राजनीतिज्ञों की महाचतुर चालों पर बौराई जनता वाह-वाह कर रही है, यह लोकतंत्र की बहुत घिनौनी तस्वीर है। इसे बदलना ही होगा।
- प्रदीप कुमार शुक्ल
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