Skip to main content

Posts

Showing posts from January, 2020
आया बसंत / डॉ प्रदीप शुक्ल जा रहा जाड़ा पर गर्मी नहीं आई मौक़ा पा फूलों ने ली है अंगड़ाई घबराए बैठे थे जाड़े में अब तक ठंडी हवाओं की मार सहें कब तक पेड़ों ने पत्तों की फेंक दी रजाई सूरज ने खोली हैं थोड़ी सी आँखें हरे हरे घूँघट से कलियाँ सब झाँकें स्वागत में भौरों ने छेड़ी शहनाई तितलियाँ झूल रहीं हवा के हिंडोले मौसम ने यहाँ वहाँ चटख रंग घोले आया बसंत! देखो, धरती मुस्काई. डॉ. प्रदीप शुक्ल
सन्नो कय थैली हेराय गै मन्नो वहि का पाइनि मन्नो समझिनि रुपिया होइहैं धीरे ते मुसकाइनि अइसी वइसी देखि - दाखि कय झउआ तरे छुपाइनि सन्नो वहिमा खाली फीता धरे रहीं गुड़ियाइनि अवधी भावानुवाद : प्रदीप कुमार शुक्ल Lucy Locket Lucy Locket lost her pocket, Kitty Fisher found it; Not a penny was there in it, Only ribbon round it.