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 !! अरविन्द - नामा !!

आओ अरविन्द केज़रीवाल को आंकते हैं !
पहले थोड़ा पीछे झांकते हैं !!
( 1 )
बात करते हैं पिछले साल की
वही शुरूआती जन लोकपाल की
एक नया चेहरा
टी वी पर अक्सर आने लगा
धीरे धीरे प्राइम टाइम पर छाने लगा
कुछ तो मीडिया के बुद्धिजीवी प्रभावित
कुछ टी आर पी का चक्कर
बन्दा खड़ा रहा डटकर
मामूली सा इंसान
चौखाने की शर्ट
पैंट से बाहर लटकती हुई
दो सौ रुपये वाला चश्मे का फ्रेम
पचास किलो का चवन्नी छाप आदमी
मीडिया की तवज्जो से मठाधीश बौखला गए
वो कुछ भी कहता
लोग पूछते
तुम कौन ?
वह बोलता - आम आदमी
तो ??
तो क्या तुम हमसे सवाल करोगे ?
गन्दी नाली के कीड़े ( गटर स्नाइप्स )
हिम्मत है तो चुनाव लड़ो
एक करोड़ तो चुनाव प्रचार में ही लगते हैं
दारु शारू , दुनिया भर का ऊपर से खर्चा
दस करोड़ !!
है औकात तुम्हारी
उसके बाद विधायक खरीदने / बचाने का पैसा अलग
कुछ पता भी है तुम्हे
चले आये मुह उठा कर
जी हम भी चुनाव लड़ेंगे
जाओ
चुनाव जीतना फिर बताना
( 2 )
चुनाव जीत गए
तो कौन सा तीर मार लिया
पिछले तिरसठ सालों से
हम ने न जाने कितने चुनाव जीते हैं
कितनी सरकारें चलायीं / गिरायीं
अब तुम चला कर दिखाओ
तुमको पता है
-कि कोयला खादान का आबंटन कैसे करते हैं ?
-कि चड्ढी बनाने वाली कम्पनी भी कोयला निकाल सकती है
-कि तीन करोड़ की सड़क तीन बार कागज़ पर कैसे बनती है
-कि स्विस बैंक का एकाउंट कैसे ऑपरेट करते हैं
चलो माना की ये बड़ी बातें हैं
धीरे धीरे सीख जाओगे
पर तुम्हे तो
मामूली बातें भी नहीं आती
जैसे कि -
चुनाव जीतने के बाद
जनता से सीधे पांच साल के बाद मिलते हैं
तुम्हे तो ये तक नहीं पता कि
कपड़े कैसे पहने जाते हैं
मफलर के ऊपर से टोपी लगाकर
बिल्कुल मूंगफली बेचने वाले लगते हो
( चाय बेचने वाले तो अब ख़ास हो गए हैं )
तो जाओ सरकार चलाओ
फिर बात करना
और हाँ
ये जो महीने भर से खांसे जा रहे हो
टी बी की जांच कराओ
नहीं तो विधान सभा में पास में बैठने भी नहीं देंगे !!
- डॉ . प्रदीप शुक्ल
20.12.2013
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