मैं तो बचपन हूँ साथी
मैं तो बचपन हूँ साथी
मुझको दुख से क्या लेना
मुझको दुख से क्या लेना
दूब हमारी
राहों में खुद
मखमल सी बिछ जाती
नीले पंखों वाली तितली
मुझको पास बुलाती
राहों में खुद
मखमल सी बिछ जाती
नीले पंखों वाली तितली
मुझको पास बुलाती
रोज रात में साथ साथ
चलती तारों की सेना
चलती तारों की सेना
बाग़ बगीचे
सुबह दोपहर
मेरी राह निहारें
रात मुझे थपकी देती हैं
कमरे की दीवारें
सुबह दोपहर
मेरी राह निहारें
रात मुझे थपकी देती हैं
कमरे की दीवारें
जेबें मुझे खिलाती रहतीं
दिन भर चना चबेना
दिन भर चना चबेना
बारिश की बूंदें
मुझको
खिड़की के पार बुलाएं
मुझे उड़ाकर अगले पल
बाहर ले चली हवाएं
मुझको
खिड़की के पार बुलाएं
मुझे उड़ाकर अगले पल
बाहर ले चली हवाएं
चाह रहा मन दुनिया में
चटकीले रँग भर देना
चटकीले रँग भर देना
- प्रदीप शुक्ल
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