सीधे बिस्तर पर आ जाना
नहीं चलेगा कोई बहाना
आओ याद तुम्हारी आई
क्या सखि साजन?
नहीं ' रजाई '
नहीं चलेगा कोई बहाना
आओ याद तुम्हारी आई
क्या सखि साजन?
नहीं ' रजाई '
- प्रदीप शुक्ल
ले आया गुलाब के फूल
अभी लग रहा बढ़िया, कूल
अब तक उसको नहीं लताड़ा
क्या सखि साजन?
ना सखि ' जाड़ा '
अभी लग रहा बढ़िया, कूल
अब तक उसको नहीं लताड़ा
क्या सखि साजन?
ना सखि ' जाड़ा '
- प्रदीप शुक्ल
बाईस सालों का गठजोड़
लोग कह रहे जाओ छोड़
अब तक सहे बहुत उत्पात
क्या सखि साजन?
ना, ' गुजरात '
लोग कह रहे जाओ छोड़
अब तक सहे बहुत उत्पात
क्या सखि साजन?
ना, ' गुजरात '
- प्रदीप शुक्ल
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