नीलू साइकिल
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नीलू साइकिल
निकली घर से
पहुँच गई मैदान में
तितली से वह
शर्त लगा बैठी थी अपनी शान में
निकली घर से
पहुँच गई मैदान में
तितली से वह
शर्त लगा बैठी थी अपनी शान में
खुली सड़क थी
साइकिल दौड़ी खूब भरा फर्राटा
तेज हवा थी बारिश थी
रस्ते में था सन्नाटा
साइकिल दौड़ी खूब भरा फर्राटा
तेज हवा थी बारिश थी
रस्ते में था सन्नाटा
मुश्किल थी तितली को लेकिन
जुटी हुई जी जान से
जुटी हुई जी जान से
भीग रहे थे पंख
और तितली भी
थक कर चूर हुई
दौड़ रही साइकिल मन में कुछ
ज्यादा ही मगरूर हुई
और तितली भी
थक कर चूर हुई
दौड़ रही साइकिल मन में कुछ
ज्यादा ही मगरूर हुई
नाजुक तितली कांप रही थी
हवा लग रही कान में
हवा लग रही कान में
पीछे मुड़कर
साइकिल ने
तितली को हँस कर घूरा
फिसल गई वह तभी अचानक
दौड़ सकी ना पूरा
साइकिल ने
तितली को हँस कर घूरा
फिसल गई वह तभी अचानक
दौड़ सकी ना पूरा
तितली आगे निकल चुकी थी
और गा रही तान में
और गा रही तान में
- प्रदीप शुक्ल
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