लागति अबकी रुकि कै जाई
परा है पट्ठा ओढ़ि रजाई
खिचरिन मा पढ़ि रहा पहाड़ा
का सखि साजन?
नाहीं, ' जाड़ा '
परा है पट्ठा ओढ़ि रजाई
खिचरिन मा पढ़ि रहा पहाड़ा
का सखि साजन?
नाहीं, ' जाड़ा '
- प्रदीप शुक्ल
जब वहु रहै, न कुछौ सुझाय
दुपहरि तक घरु छोडि न जाय
सुबह साम गांसे है मोहरा
का सखि साजनु?
नाहीं ' कोहरा '
दुपहरि तक घरु छोडि न जाय
सुबह साम गांसे है मोहरा
का सखि साजनु?
नाहीं ' कोहरा '
- प्रदीप शुक्ल
जब ते आवा, है अघवाय
याको मिनट क दूरि न जाय
बिस्तर बिलकुल बना अखाड़ा
का सखि सजना?
नाहीं ' जाड़ा '
याको मिनट क दूरि न जाय
बिस्तर बिलकुल बना अखाड़ा
का सखि सजना?
नाहीं ' जाड़ा '
- प्रदीप शुक्ल
भद्दर जाड़े में वह आया
मेरे खातिर रहा पराया
मिलने वालों का था रेला, क्या सखि साजन?
' पुस्तक मेला '
उनको वहाँ नहीं था जाना
मिल न रहा अब कोई बहाना
हुआ क्या वहाँ यही बता जा
क्या सखि साजन?
न, ' डी. राजा '
मिल न रहा अब कोई बहाना
हुआ क्या वहाँ यही बता जा
क्या सखि साजन?
न, ' डी. राजा '
- प्रदीप शुक्ल
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