दिसंबर में गांव
----------------
----------------
दूर तक फैली
हरी कालीन देखो
खेत में हँसते हुए
ताजे हरे किल्ले
हरी कालीन देखो
खेत में हँसते हुए
ताजे हरे किल्ले
दौड़ता पानी
बगल की नालियों में
हँसे सूरज
कान की दो बालियों में
बगल की नालियों में
हँसे सूरज
कान की दो बालियों में
उड़ गई चादर
हवा में कोहरे की
पेंड़ से छनकर गिरे हैं
धूप के बिल्ले
हवा में कोहरे की
पेंड़ से छनकर गिरे हैं
धूप के बिल्ले
खेलता बच्चा
बड़ा कनटोप बांधे
खेत में बगुला
खड़ा है मौन साधे
बड़ा कनटोप बांधे
खेत में बगुला
खड़ा है मौन साधे
जा रहे स्कूल बच्चे
टोलियों में
मेड़ पर कुछ सूंघते से
घूमते पिल्ले
टोलियों में
मेड़ पर कुछ सूंघते से
घूमते पिल्ले
पानी के दस्ताने
किसी ने हाँथ में पहने
और मिट्टी के बने
जूते लगे बहने
किसी ने हाँथ में पहने
और मिट्टी के बने
जूते लगे बहने
आ रही खुश्बू
रखी है पोटली जो
आज अम्मा ने बनाए
उड़द के चिल्ले
रखी है पोटली जो
आज अम्मा ने बनाए
उड़द के चिल्ले
- प्रदीप शुक्ल
Comments
Post a Comment