अगहन
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उड़ने लगे धूप के टुकड़े
बैठी रही हवा
अगहन ने आते ही बांटी
सबको नींद दवा
बैठी रही हवा
अगहन ने आते ही बांटी
सबको नींद दवा
ख़त्म हो गए उत्सव सारे
गलियां हैं सूनी
बेलें चढ़ीं मुंडेर, लग रहीं
कितनी बातूनी
गलियां हैं सूनी
बेलें चढ़ीं मुंडेर, लग रहीं
कितनी बातूनी
मन्त्र पढ़े कोने में बैठा
तुलसी का बिरवा
तुलसी का बिरवा
रोज भोर होते महुए से
कुहरा चूता है
सकुचाया सूरज महुए के
पत्ते छूता है
कुहरा चूता है
सकुचाया सूरज महुए के
पत्ते छूता है
घूम रहा कनटोपा पहने
लछमी का बचुवा
लछमी का बचुवा
इसी महीने इम्तेहान
हो रहे छमाही के
दादी कहती दिन होंगे अब
आवाजाही के
हो रहे छमाही के
दादी कहती दिन होंगे अब
आवाजाही के
अम्मा ने आंगन में, चूल्हे पर
रख दिया तवा
रख दिया तवा
- प्रदीप शुक्ल
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