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लालु
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उठि जाव लालु
उठि जाव लालु
द्याखौ आवा है नवा सालु
चिरई चिरवा
सब खोजि रहे
तुमका, तुम परे रजाई मा
पढ़ि रहा पहाड़ा जाड़ु अबे
ठंडक धरि दिहिसि दहाई मा
कोहिरा मा सूरजु अटकि रहा
वहु पूछि रहा तुमते सवालु
उठि जाव लालु
उठि जाव लालु
द्याखौ आवा है नवा सालु
आंखी ख्वालौ - आंखी ख्वालौ
अब सोए ते
ना कामु बनी
तुमरे दूधे खातिर द्याखौ
कूकुर - बिलारि मा रारि ठनी
अब जगौ किरनियाँ आय गईं
बइठीं सिरहाने छुएं गालु
उठि जाव लालु
उठि जाव लालु
द्याखौ आवा है नवा सालु
ई नए साल मा
बचुआ तुम
बसि राह चलेव सच्चाई की
थ्वारा अपने मन ते स्वाचौ
अब उमिरि नहीं गभुआई की
कोसिस कीन्हेव लल्ला हमार
तुम चलेव न सपनेव मा कुचालु
उठि जाव लालु
उठि जाव लालु
द्याखौ आवा है नवा सालु
- प्रदीप शुक्ल

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