नाम में ही सब रक्खा है
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जस्टिस के एम जोज़फ का नाम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जज के लायक नहीं समझा। शायद उनका पूरा नाम सरकार को पसंद नहीं आया। पूर्व मंत्री श्री पी चिदंबरम जी महराज जी ने खग भाषा ( ट्वीट ) में अपने यह विचार प्रेषित किए हैं।
सेक्सपियर बब्बा तो बेकारे मा फिलासफियाय गए रहे कि नाम मा कुच्छो ना रक्खा। भई नाम में ही तो सब रक्खा है। अपने तुलसी बाबा इसीलिए बताय गए कि -
नाम कामतरु काल कराला ........
मल्लब, इस कराल काल यानी कठिन समय में नाम तो कल्पवृक्ष है। नाम की महिमा अपरंपार है। चुनावी भवसागर में नाम की पूंछ पकड़ कर वोटिंग रूपी वैतरणी को आसानी से पार किया जा सकता है।
तो भाईयों और बहनों इन फिरंगी बब्बा के चक्कर में मत रहना, अपने तुलसी बाबा नाम की महिमा में बत्तीस दोहे और चौसठ चौपाईयां लिखकर धर गए हैं।
कलिकाल में चुनाव के समय नाम का माहात्म्य सर्वाधिक होगा। ऐसा एक पहुंचे हुए फकीर और फुल्ले शाह महराज ने अपने प्रवचनों में यत्र तत्र उद्घृत किया है।
तो, हे वोटरों!
नाम में ही सब रक्खा है।
नाम में ही सब रक्खा है।
- प्रदीप शुक्ल
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