गांव - भौकापुर
जहां हमने जीवन की पहली होली खॆली
पहली बार जीवन के रंगों से हुआ सामना
जहां पुरखों के कहे शब्द मन्दिर की परिक्रमा करते हुए सुनाई पड़ते हैं
खेत की मिट्टी में बसी है उनके पसीने की खुशबू
दहलीज से आंगन तक पसरा है मेरा बचपन
जहां हमने जीवन की पहली होली खॆली
पहली बार जीवन के रंगों से हुआ सामना
जहां पुरखों के कहे शब्द मन्दिर की परिक्रमा करते हुए सुनाई पड़ते हैं
खेत की मिट्टी में बसी है उनके पसीने की खुशबू
दहलीज से आंगन तक पसरा है मेरा बचपन
उन्हीं यादों को ताजा करते हुए आज की शाम
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