सुनो राम जी! कब आओगे?
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यहाँ जटायू फ़िर चिल्लाया
सुनो राम जी!
कब आओगे?
सुनो राम जी!
कब आओगे?
युग बदला है
लोग धरा पर
हैं बदले बदले
घर - घर में अब सुग्रीवों को
बाली रोज़ छले
लोग धरा पर
हैं बदले बदले
घर - घर में अब सुग्रीवों को
बाली रोज़ छले
जज है बाली का हमसाया
सुनो राम जी!
कब आओगे?
सुनो राम जी!
कब आओगे?
जिसको मैं
सोचूँ रघुनन्दन,
रावण वो निकले
सबरी के बेरों को अपने
पैरों से कुचले
सोचूँ रघुनन्दन,
रावण वो निकले
सबरी के बेरों को अपने
पैरों से कुचले
सरयू पर केवट घबराया
सुनो राम जी!
कब आओगे?
सुनो राम जी!
कब आओगे?
रोज दशानन
पैदा होते
रघुवंशी घर में
चुपके से वो अब विराजते
बहुतों के उर में
पैदा होते
रघुवंशी घर में
चुपके से वो अब विराजते
बहुतों के उर में
रामराज्य पर काला साया
सुनो राम जी!
कब आओगे?
सुनो राम जी!
कब आओगे?
- प्रदीप शुक्ल
( रिपोस्ट )
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