ओ अमलतास
ओ अमलतास
कुछ पता करो क्यों आज यहाँ
बच्चे चुप हैं सड़कें उदास
ओ अमलतास
कुछ पता करो क्यों आज यहाँ
बच्चे चुप हैं सड़कें उदास
जब चलती बस की खिड़की से
बाहर निकले मासूम हाँथ
कुछ देर रहा बस के भीतर
पंखुड़ियों का उल्लसित साथ
बाहर निकले मासूम हाँथ
कुछ देर रहा बस के भीतर
पंखुड़ियों का उल्लसित साथ
छोटी चमकीली आंखों में
थी कौंध उठी पीली उजास
ओ अमलतास
ओ अमलतास
थी कौंध उठी पीली उजास
ओ अमलतास
ओ अमलतास
रुक गई अगर बस कभी यहाँ
नन्ही उंगलियाँ निकल आईं
कोमल छुअनों को निरख परख
कोंपल, कलियाँ थीं मुस्काईं
नन्ही उंगलियाँ निकल आईं
कोमल छुअनों को निरख परख
कोंपल, कलियाँ थीं मुस्काईं
देखो बातूनी आवाजें
मंडराती होंगी आस पास
ओ अमलतास
ओ अमलतास
मंडराती होंगी आस पास
ओ अमलतास
ओ अमलतास
पर तभी अचानक शोर हुआ
कुछ फूलों की चीखें निकलीं
पत्ते - पत्ते थरथरा गए
डाली - डाली कँपकँपा चलीं
कुछ फूलों की चीखें निकलीं
पत्ते - पत्ते थरथरा गए
डाली - डाली कँपकँपा चलीं
कापियों किताबें से निकले
अक्षर - अक्षर हैं बदहवास
अक्षर - अक्षर हैं बदहवास
ओ अमलतास
ओ अमलतास
कुछ पता करो क्यों आज यहाँ
बच्चे चुप हैं सड़कें उदास l
ओ अमलतास
कुछ पता करो क्यों आज यहाँ
बच्चे चुप हैं सड़कें उदास l
- प्रदीप शुक्ल
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