चिम्पा के अनार
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दूर गांव में रहता चिम्पा
और साथ में रानी चम्पा
और साथ में रानी चम्पा
चम्पा तो थी दिल की रानी
सचमुच थी वह बहुत सयानी
सचमुच थी वह बहुत सयानी
दो रुपये चम्पा के पास
चिम्पा बैठा बहुत उदास
चिम्पा बैठा बहुत उदास
चिम्पा को भेजा बाजार
लेकर आया एक अनार
लेकर आया एक अनार
उसमे थे अनार के दाने
उनको मगर नहीं थे खाने
उनको मगर नहीं थे खाने
दानों से फिर पेंड़ उगाए
पेंड़ों पर अनार लहराए
पेंड़ों पर अनार लहराए
मेहनत से पेंड़ों को सींचा
और बड़ा किया बागीचा
और बड़ा किया बागीचा
फल निकलें अब रोज हजार
चल निकला था कारोबार
चल निकला था कारोबार
‘ चिम्पा के अनार ‘ का टैग
पैक कर रही चम्पा बैग l
पैक कर रही चम्पा बैग l
- प्रदीप शुक्ल
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