कुछ शातिर लोग
बलात्कार को मुद्दा बनाकर सरकार बनाते हैं
बलात्कार को मुद्दा बनाकर सरकार बनाते हैं
फिर छप्पन इंची सीना अड़ा कर
उन्ही बलात्कारियों की ढाल बन जाते हैं
उन्ही बलात्कारियों की ढाल बन जाते हैं
वापस लौट आते हैं पुराने शातिर
बताते हैं अपने बलात्कारियों को कम
इंडिया गेट पर जगमगाती हैं मोमबत्तियां
आँखों में कुर्सियां चमक - चमक जाती हैं
रात बारह बजे सड़कों पर सूंघते फिर रहे हैं अपनी सरकार
बताते हैं अपने बलात्कारियों को कम
इंडिया गेट पर जगमगाती हैं मोमबत्तियां
आँखों में कुर्सियां चमक - चमक जाती हैं
रात बारह बजे सड़कों पर सूंघते फिर रहे हैं अपनी सरकार
कुछ ढोंगी ऐसे भी हैं
जो बलात्कार के मुद्दे पर लोट - लोट गए थे जमीन पर
छोड़ दिया था खाना पानी
आज तोंद फुलाकर कान में तेल डाले बैठे हैं
अपने बलात्कारियों का कर रहे हैं पुनर्वास
जो बलात्कार के मुद्दे पर लोट - लोट गए थे जमीन पर
छोड़ दिया था खाना पानी
आज तोंद फुलाकर कान में तेल डाले बैठे हैं
अपने बलात्कारियों का कर रहे हैं पुनर्वास
सरकारें बदलने से बलात्कार नहीं रुकने वाले
कुछ और सोचना पड़ेगा अब
कुछ और सोचना पड़ेगा अब
- प्रदीप शुक्ल
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