अच्छे दिनन क ताकि रहेन
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स्वाचा रहै हम तो सब दुख हमार जरि जइहैं
लागति है सुख मुला फांसी लगाय मरि जइहैं
लागति है सुख मुला फांसी लगाय मरि जइहैं
आंखी पथरानी हैं अच्छे दिनन क ताकि रहेन
अउर देर लागी तो र्वावां हमार बरि जइहैं
अउर देर लागी तो र्वावां हमार बरि जइहैं
सांड़ जेतने हैं पहुँचाव सब कानीहउदै
नहीं तो ख्यात - ख्यात खूंटु - खूंटु चरि जइहैं
नहीं तो ख्यात - ख्यात खूंटु - खूंटु चरि जइहैं
नई बयार नई धूप देखावा जाए
नहीं अचार जस बिचार सबै सरि जइहैं
नहीं अचार जस बिचार सबै सरि जइहैं
भलेमानस बनौ पंगा न लेव धरती ते
कहूं जो गुस्सानि तौ पुरिखा तुम्हार तरि जइहैं
कहूं जो गुस्सानि तौ पुरिखा तुम्हार तरि जइहैं
ई जउन ताज लेहे आसमान दउरि रहे
मरै के बेरिया सब उतारि हिएँ धरि जइहैं
मरै के बेरिया सब उतारि हिएँ धरि जइहैं
- प्रदीप शुक्ल
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