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रास्ता आसान था
चलता हुआ पंखा रुक गया था
रस्सी नीचे तक लटक आई थी
और स्टूल ठीक उसके नीचे था
कहीं कोई संसय नहीं था
जब मैं बिलकुल आसान रास्ते पर चलने के लिए तैयार था
झूलती हुई रस्सी मैं गले में डाल चुका था
पैसों के मोह से बहुत दूर निकल चुका था
पैरों से स्टूल सरकाता कि उससे पहले
मेरी निगाह मेरे बचपन की एक फोटो पर जम गई
तब मुझे अहसास हुआ
कि अब दिन का उजाला मैं कभी नहीं देख पाऊंगा
फोटो मेरे हाथ में थी और मैं सोच रहा था
इस बच्चे के पास कोई योजना नहीं थी
कोई मांग नहीं थी
अपना पक्ष चुनने में उसे कोई हिचकिचाहट नहीं थी
उसकी आँखों में थी एक विशेष चमक
उसकी छोटी आँखों में थीं बड़ी उम्मीदें
वह नहीं था किसी लकीर का फकीर
उसके पास थी ताकत किसी भी झंझावात को पार करने की
आज मैंने उस बच्चे को अपमानित किया
इस निराश करती दुनिया के आगे समर्पण कर
लेकिन अभी बहुत देर नहीं हुई थी
और मैं किसी शूरवीर से कम नहीं था
बस उठा कर तलवार
मैं चाह रहा था निकलना उस सड़क पर
जहां मैं अपने सपनों को खोजते हुए पहुँच सकूं
अपनी मनचाही जगह
रास्ता आसान था
- प्रद्युम्न शुक्ला

The Easy Way Out
The fan was stopped,
The rope dropped
and a stool was placed beneath.
There was not a sense of doubt
When I was ready to take the easy way out.
I put the rope around the neck,
Too worn out to be impressed by a big paycheck.
I was about to push the platform aside,
When a photo of my younger self caught my eye.
It was then when I realized
that I would never see daylight.
I took the photo in my hands
and thought this child had nothing planned.
There was no demand
He never thought before taking a stand.
But maybe he just lived in a fairyland.
There was a spark in his eyes
Hopes so huge with such a small size
He never had any fixed purpose
But his strength kept him from quitting this circus.
I disgraced him today,
By surrendering to a world full of dismay.
It wasn't too late to make things right
And I was no less than a knight.
So I picked up my sword
Willing to walk again on that road
All while finding for my dreams, a new abode.
- Pradyumn Shukla

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