ज़रा बचना
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ज़रा बचना
ये विषधर सांप
सड़कों पर निकल आये
ये विषधर सांप
सड़कों पर निकल आये
पहन कर
खाल मानव की
शहद लिपटी ज़बानों से
निकल कर आ रहे होंगे
गली के हर मुहानों से
खाल मानव की
शहद लिपटी ज़बानों से
निकल कर आ रहे होंगे
गली के हर मुहानों से
जहर उगलेंगे,
थोड़ा सा
ये बस मौसम गुजर जाये
थोड़ा सा
ये बस मौसम गुजर जाये
ये चीखेंगे
लगा टोपी
जवानों की, शहीदों की
जलाएंगे चितायें फिर यही
उनकी उमीदों की
लगा टोपी
जवानों की, शहीदों की
जलाएंगे चितायें फिर यही
उनकी उमीदों की
अभी हैं
आँख में आंसू
ज़रा बस बात बन जाये
आँख में आंसू
ज़रा बस बात बन जाये
कोई पैसे की
थैली दिखा
महलों में बुला लेगा
तुम्हारी पीढ़ियों को भी
भिखारी वह बना देगा
थैली दिखा
महलों में बुला लेगा
तुम्हारी पीढ़ियों को भी
भिखारी वह बना देगा
अभी मासूमियत
सांपो की
आँखों में लहर जाये
सांपो की
आँखों में लहर जाये
- प्रदीप कुमार शुक्ल
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