सिंहावलोकन
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सुनो बंधु
इन दिनों देश
बस भौंचक हुआ खड़ा है
इन दिनों देश
बस भौंचक हुआ खड़ा है
राष्ट्रवाद का
कसे लंगोटा
है विकास दंगल में
महाबली के चेले चापड़
कूदें अगल - बगल में
कसे लंगोटा
है विकास दंगल में
महाबली के चेले चापड़
कूदें अगल - बगल में
लोग बतायें
शोर बहुत
पर मेला कुछ उखड़ा है
शोर बहुत
पर मेला कुछ उखड़ा है
वादों की
गठरी काँधे पर
मंत्री लिए खड़े हैं
हाँफ रहे दरबानों की
राजा जी पीठ चढ़े हैं
गठरी काँधे पर
मंत्री लिए खड़े हैं
हाँफ रहे दरबानों की
राजा जी पीठ चढ़े हैं
रत्न जड़ित
सिंहासन
बिलकुल खाली हुआ पड़ा है
सिंहासन
बिलकुल खाली हुआ पड़ा है
कंकड़ लिए
चोंच में कौए
डोल रहे हैं भूखे
उनके हिस्से वाले सारे
ताल पोखरे सूखे
चोंच में कौए
डोल रहे हैं भूखे
उनके हिस्से वाले सारे
ताल पोखरे सूखे
बढ़ती जाए प्यास
पास में
टूटा हुआ घड़ा है
पास में
टूटा हुआ घड़ा है
- प्रदीप कुमार शुक्ल
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