खित्ते से दहशतगर्दी ख़त्म होनी चाहिए
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इमरान भाई तुम्हारी जो इच्छा थी कि इस पूरे खित्ते से दहशतगर्दी ख़त्म हो, वही तो हम कर रहे हैं. जैश वाले चच्चू को तुम्हारे मालिकान लोगों ने घर जमाई बना कर रखा है. हम जानते हैं कि तुम भले आदमी हो. लेकिन तुम्हारे बस का कुछ है नहीं. तो हमने सोचा कि तुम्हारे खित्ते के दहशतगर्दों को हूरों के पास पहुंचा दें. वे भी बेचारे कब तक दाढ़ी लहराते हुए पटाखों से खेलते रहेंगे.
मियाँ, तुम तो खूब पढ़े लिखे आदमी हो. खूब देश विदेश घूमे हो. हमारे देश में भी कितने चाहने वाले थे तुम्हारे ( अब नफरत करने वाले ज्यादा हैं ) लेकिन बात वही कि तुम्हारे बस का है नहीं कुछ इमरान भाई. तुम्हारे मामू जनरल नियाज़ी भी बेचारे भले आदमी थे. पाकिस्तानी अवाम से मुहब्बत करते थे और एक लाख सैनिकों को बचा ले गए. तुम्हारे पास बड़ा मौक़ा है. तुम लाखों को बचा सकते हो.
तुम अपनी अवाम को दिखाने के लिए हमारे बागीचे के ऊपर से अपने कौए भी उड़ा लाये. कौए भगाते हुए एक हमारा बच्चा तुम्हारे आँगन की तरफ चला गया. उसे तुमने पकड़ लिया है और बड़े तीरंदाज बनने की कोशिश कर रहे हो.
खां साब पहले तो उस बच्चे को तुरंत बाइज्ज़त यहाँ छोड़ जाओ. अपने जैश चच्चू को पकड़ कर हमें सौंप दो. सौंप न पाओ तो बस थोड़ा बस्ती से हिगार कर हमे इशारा कर दो. हम टीप लेंगे.
फिर तुम गुजारिश करो बातचीत की. वरना तुम हमारे कक्कू को जानते ही हो. बहुत कठोर दिल के आदमी हैं. वैसे भी उनके सर पर आजकल चुनाव सवार है. कुछ गहरी चोट कर देंगे.
शर्त एक ही है कि इस खित्ते से दहशतगर्दी ख़त्म होनी चाहिए, बस. वरना हमारे ठोकाल साब तुमको इतना ठोकेंगे कि तुम भाईजान गुजारिश करने लायक भी नहीं रहोगे.
- एक अमन पसंद नागरिक
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