तितली बोली
एक अदद
तितली के पीछे
मुन्ना भागा जोर से
तितली उड़ी, ज़रा घबराई
यूं मुन्ने के शोर से
तितली के पीछे
मुन्ना भागा जोर से
तितली उड़ी, ज़रा घबराई
यूं मुन्ने के शोर से
मुन्ना बोला -
तितली रानी,
कहाँ छुपी तुम रहती?
तितली के संग खेलें बच्चे
मेरी नानी कहती
तितली रानी,
कहाँ छुपी तुम रहती?
तितली के संग खेलें बच्चे
मेरी नानी कहती
हर सन्डे को
राह तुम्हारी
देखा करता भोर से
राह तुम्हारी
देखा करता भोर से
तितली बोली -
बड़ा कठिन,
पत्थर का तेरा घर है
आस पास उसके फूलों का
मिलना भी दूभर है
बड़ा कठिन,
पत्थर का तेरा घर है
आस पास उसके फूलों का
मिलना भी दूभर है
गमले में
जो पौधे,
हमको लगते बहुत कठोर से
जो पौधे,
हमको लगते बहुत कठोर से
मैं तो
गलती से आ पहुँची
फूल दिखे थे मुझको
प्लास्टिक फूल सजा कर रखता
शर्म न आई तुझको
गलती से आ पहुँची
फूल दिखे थे मुझको
प्लास्टिक फूल सजा कर रखता
शर्म न आई तुझको
तुझसे कुट्टी,
कभी न गुजरूँ
तेरे घर की ओर से.
कभी न गुजरूँ
तेरे घर की ओर से.
- प्रदीप कुमार शुक्ल
( बाल वाटिका, मई २०१९ के अंक में प्रकाशित )
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