टिरंप दउआ
राम - राम
राम - राम
जउन है तउन तुमका तौ हम बतावा रहै अपने पड़ोसी क्यार हालु. हमरे सहन मा कब्जा कीन्हे है सार. कुछु कहौ तौ गुर्राति है. तुम्हारिही सह पाए रहै अबे तक . अब तुमहू जानि गयेव.
अच्छा मजे केरि बात यह है कि जउन हमरे सहन मा वहु कब्जा कीन्हे है वहिका इतना गन्ध्वाए है कि बसि पूछौ ना. सांप सार बाम्बिन मा घुसे हैं. औ अइसी निकरि - निकरि काटति हैं. उनहुन का काटति हैं मगर पट्ठा कटवा रहा, सुनतै नहीं.
हम कईउ बार कहा कि हमार पटीदार आहिउ तुम, गरीब हौ हम जानिति है. तुमरे बस का नहीं है. हमार हिस्सा हमका देव अउर मउज ते रहव. लेकिन हरामी है सार ( अउरिव गारी देवईया हन, हियाँ लिखि नहीं पा रहेन, बस समझि लेव )
भला पूंछो जब तुमका खाए कै लाले परे हैं तो हटौ हुअन ते, मुलु मानि नहीं रहा. हम भल कुछु कहा, लालु तुम न साफ़ कै पाव तौ हमही खरहचा लगा दीन करी. मुला वहु तइयार न भवा.
तौ दउआ आजु भोरैखे हम हुआ जाय कै बाम्बी - वाम्बी साफ़ कीन है. तुमरे पास तो र्वावै आवा होई, तुमका का बताई.
दउआ तुमका यह पाती हम यहिके बरे लिखि रहेन है कि वहि चोट्टा का समझा लीन्हेव नहीं तो वहिके आधे घर तक कब्जा कई ल्याब अबकी. हम बहुत जरवान बईठ हन.
बाक़ी हियाँ सब ठीक है. औ दउआ हमारि याक सलाह मानौ. तुमहू सारे च्वारन की मदद अब बंद करौ.
राम - राम
ककुआ
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