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गांव का एक लड़का ( 27 )



इसी बीच एक घटना और घटित हुई l करीब चार - पांच महीने पहले एक डी फार्मा ( डिप्लोमा फार्मेसी ) में एडमीशन के लिए लिखित परीक्षा को मैं ऐसे ही दे आया था l यह वह दौर था जब इस तरह की परीक्षाओं में धांधली ने अपने पैर अच्छी तरह से पसार लिए थे l इससे पहले भी लैब टेक्नीशियन, डेंटल हाइजेनिस्ट, आईटीआई, बैंक क्लर्क आदि की अनगिन परीक्षाएं मैं दे चुका था l जिनके नतीजे हमको पहले ही पता रहते l यह इम्तेहान भी मैं देकर भूल चुका था l
अचानक एक दिन फार्मेसी कौंसिल से एक रजिस्टर्ड लिफाफा मेरे कमरे के पते पर आ पहुंचा l मैं लिखित परीक्षा में चयनित हो गया था, कुछ दिन बाद साक्षात्कार की तारीख थी l मुझे बहुत आश्चर्य हुआ l यह वही परीक्षा थी जिसका सेंटर क्रिश्चियन कॉलेज में पड़ा था और जिसमे हमको उत्तर पर पेन्सिल से टिक लगाने थे l यह प्रबंध देखते ही मुझे सब माजरा समझ आ गया था और मैं तीन घंटे का पेपर आधे घंटे में दे कर बाहर आ गया था l उसका एक प्रश्न तो मुझे अभी तक याद है l प्रश्न था कि इस वर्ष मिस इंडिया का खिताब किसे दिया गया है? मुझे मिस इंडिया के बारे में तो खैर क्या ही जानकारी रहती l पर ' प्रियदर्शिनी प्रधान ' थोड़ा सा ठीक नाम लगा और मैंने उसे टिक कर दिया था, जो कि सही उत्तर भी था l इसी तरह और भी प्रश्न हल किये होंगे l मुझे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी l लेकिन बुलावा पत्र को झुठलाता भी तो कैसे ?
मन में थोड़ी प्रसन्नता तो हुई ही l पिताजी से भी प्रसंशा पाने के लिए मन मचल उठा l मैं उस समय एक भूरे रंग की जींस पहने हुए था जिसमे पीछे दोनों तरफ छोटी - छोटी जेबें थीं l पत्र को लिफ़ाफ़े सहित पीछे की जेब में रखा और साइकिल से जीपीओ ( पिताजी के ऑफिस ) भाग चला l साइकिल खड़ी की और पीछे जेब में हाथ डाला l वहाँ किसी कागज़ का कोई नामोनिशान तक नहीं था l जल्दी - जल्दी सारी जेबें टटोल डालीं पर वहाँ कुछ हो तो मिले? भूरे रंग का पतला लिफाफा रास्ते में कहीं उछल कर बिला गया था l
अब पिताजी से प्रसंशा की जगह गालियाँ सुनने का मौक़ा था l हिम्मत नहीं पड़ी l मन ही मन निश्चय यही हुआ कि पत्र की बात सिरे से गोल कर दी जाए, और इसे भूल जाया जाए l साक्षात्कार में होना हवाना है नहीं, यह बात मुझे पहले से पता थी l तो बेकार में क्यों गालियाँ खाई जाएँ l साइकिल वापस डेरे पर आ गई और मैं फिर अपनी पढाई में मस्त हो गया l
लेकिन इंटरव्यू की तारीख दिमाग में कहीं फंसी रह गई थी l जैसे - जैसे साक्षात्कार का दिन करीब आता जा रहा था मन में कुछ बेचैनी सी बढ़ने लगी l जीवन में पहली बार तो किसी साक्षात्कार के लिए बुलावा आया था l सो, आखिरी रात यही तय हुआ कि वहाँ चलने में कोई हर्ज नहीं है l होना तो वैसे भी कुछ नहीं है, जिसका होना है उसका हो चुका होगा l बस समस्या एक ही थी कि मेरी अंकतालिकाओं को लेकर मुझे फिर से गालियाँ सुनने को मिलेंगी l दरअसल जो भी मेरे यह तमगे देख भर लेता था वह कोई और बात ही नहीं करता l बस उन्ही में उलझ कर रह जाता l इस साक्षात्कार में भी मुझे बस गालियाँ और प्रवचन ही सुनने थे l
जी को कड़ा किया और सबेरे जल्दी ही फार्मेसी काउन्सिल पहुँच गया l पत्र खो जाने की बात बताई तो उन्होंने कहा, कोई बात नहीं आपका फलां नंबर पर साक्षात्कार है l मैं हाथ में फाईल समेटे प्रतीक्षा कर रहा था और अपने को गालियाँ खाने के लिए मन ही मन तैयार कर रहा था l
खूब भीड़ थी, मेरा नंबर भी आ गया l यहाँ पर किस्मत आपा ने मेरी उंगली पकड़ रखी थी l दो कमरे थे पहले कमरे में कागजात चेक करने के लिए लोग बैठे थे l अगले कमरे में साक्षात्कार के लिए चार लोग थे l मैंने अपनी लैमिनेटेड अंकतालिकाएं पहले कमरे में फेंकीं और बिना उनकी तरफ देखे, बिना समय गवांये अगले कमरे में दाखिल हो गया l यहाँ पर किस्मत आपा के साथ - साथ दूसरा हाथ खुद नक़वी सर ने आ कर थाम लिया l
पहला सवाल पूछा गया, मलेरिया किससे होता है? बस यही तो पढ़कर मैं आ रहा था l इसी में तो मेरी चौथी रैंक आई थी कोचिंग में l मैंने बताना शुरू किया, मेरी जबान से खुद नकवी सर बोल रहे थे l मलेरिया का रोग मच्छर के काटने से होता है l मादा एनाफिलीज़ के काटने से l उसकी लार ग्रंथि में एक परजीवी पाया जाता है प्लासमोडियम l दरअसल मलेरिया बीमारी उन्ही परजीवी प्लाजमोडियम के द्वारा होती है l मच्छर तो महज उसके वाहक हैं l प्लाजमोडियम की चार प्रजातियाँ हैं, मैंने आँखें बंद कर गिनानी शुरू कीं l पी. वाइवैक्स, पी. फैल्सीपेरम, पी. मलेरी और पी ओवेल ( वैसे तो प्लाजमोडियम की बीसों प्रजातियाँ अब तक ज्ञात हैं पर उस समय मुझे नक़वी सर ने केवल चार बताई थीं तो मेरे लिए बस चार ही थीं l साक्षात्कार लेने वालों को शायद चार भी नहीं पता थीं ) मैंने सर उठाकर सामने देखा तो चारो लोग एक दूसरे का मुंह देख रहे थे l सबके मुंह से एक साथ निकला, वाह ! वेरी गुड l
आगे के सवाल बहुत साधारण थे और किस्मत आपा बराबर पूरे साक्षात्कार मेरे बगल में बैठी रहीं l मजे की बात देखिये फिजिक्स का प्रश्न भी मुझे आता था l पानी का फ्रीजिंग पॉइंट l
मैं उछलते हुए कमरे के बाहर आया l बगल वाले कमरे से फ़ाइल उठाई और क्लर्क के घूरने का बिलकुल ध्यान नहीं दिया l मुझे अपने सलेक्शन से कोई ज्यादा मतलब उस समय नहीं था l मतलब तो बस इस बात से था कि साक्षात्कार ले रहे चारो लोगों ने मुझे वेरी गुड कहा l मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात थी l
एक दो दिन में रिज़ल्ट आ गया l सोलह सौ सलेक्टेड लोगों में मेरी रैंक थी अड़तालीस l
जारी है ........

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