हम बच्चे हैं गांव से
हमको कोई रोक न पाए
हम बच्चे हैं गांव से
हम बच्चे हैं गांव से
हम सूरज को
उगता देखें
रोज ताल के ऊपर
ताज़ी हवा शहर जाती है
हमें यहाँ से छूकर
उगता देखें
रोज ताल के ऊपर
ताज़ी हवा शहर जाती है
हमें यहाँ से छूकर
कोयल की सुर लहरी भारी
है कौए की कांव से
है कौए की कांव से
गौनहरी
चिड़ियों की टोली
हमको रोज जगाती
सूरज की किरणों से ही
गौरैया यहाँ नहाती
चिड़ियों की टोली
हमको रोज जगाती
सूरज की किरणों से ही
गौरैया यहाँ नहाती
धूप यहाँ डरकर रहती
बूढ़े बरगद की छांव से
बूढ़े बरगद की छांव से
केवल पुस्तक नहीं
यहाँ पर
हमको प्रकृति सिखाती
नदी हमारे दरवाजे तक
हमसे मिलने आती
यहाँ पर
हमको प्रकृति सिखाती
नदी हमारे दरवाजे तक
हमसे मिलने आती
पगडण्डी की घास
दोस्ती रखती नंगे पांव से
दोस्ती रखती नंगे पांव से
शहरों में
लेकर आते हैं
हम ही तो भावुकता
हम से ही तो बाकी है
अब तक थोड़ी मौलिकता
लेकर आते हैं
हम ही तो भावुकता
हम से ही तो बाकी है
अब तक थोड़ी मौलिकता
हमे हराना मुश्किल होगा
बौद्धिकता के दांव से.
बौद्धिकता के दांव से.
- प्रदीप शुक्ल
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