गांव का एक लड़का ( 18 )
लिबर्टी से बाईं तर-फ चल पड़िए तो आगे चलकर दो टाकीज पाए जाते l ' जयहिंद ' और ' जयभारत ' l इन दोनों की ख़ास बात यह थी कि इनमे सिर्फ पुरानी फिल्में ही लगाई जातीं l दाम भी अपेक्षाकृत कम रहते l बताने की आवश्यकता नहीं कि मेरे पसंदीदा छविगृहों में इनका स्थान काफी ऊपर था l
अगर आप लिबर्टी से सीधे कैंट रोड पर चलते रहें तो आगे ' ओडियन ' सिनेमा दाईं तरफ था l उससे भी पहले एक नया सिनेमाघर बन गया था जिसका नाम मुझे अब याद नहीं l जाहिर है कि वहाँ के चक्कर कम ही लगे होंगे l
आगे बढ़ते हुए बर्लिंगटन चौराहा पार कर उदय गंज में बाईं तरफ मेनरोड से थोड़ा हटकर था ' अलंकार ' l अलंकार में तीन तल्ले का हाल था सबसे नीचे फर्स्ट क्लास, फिर बालकनी और सबसे ऊपर स्पेशल l सबसे नीचे वाले आसमान की तरफ मुंह उठाकर फिल्म देखते, सबसे ऊपर वाले कुँए में झाँक कर, बालकनी वाले अपनी गर्दन को ज्यादा तकलीफ नहीं देते l
साहू, मेफेयर, बसंत, नोवेल्टी, तुलसी और प्रतिभा सिनेमाघर हज़रात गंज के अतिविशिष्ट क्षेत्र में आते थे l नई फ़िल्में ज्यादातर यहीं रिलीज़ होतीं l इसी क्षेत्र में वैसे ' कैपिटल ' भी था पर उसकी प्रतिष्ठा पर धब्बे लगे हुए थे l वहाँ सुबह दस बजे का एक पांचवा शो भी चलता था l जिसमें हिन्दी / अंग्रेजी की सी ग्रेड फिल्मे दिखाई जाती l कॉलेज बंक करने वाले बच्चों के लिए ही खासकर यह शो चलता था l मॉर्निंग शो तो मेफेयर में भी चलता था पर वहाँ की फिल्मों का स्तर काफी बेहतर था l
चारबाग में ' सुदर्शन ' और आलमबाग में ' कृष्णा ' लखनऊ के सबसे घटिया सिनेमाघरों में गिने जाते थे l लखनऊ के बाहरी क्षेत्रों में ' उमराव ' ' अंजुमन ' आदि सिनेमाघरों में अपुन का जाना कुछ ज्यादा नहीं था l
पिक्चरबाजी की लत से सिनेमाई ज्ञान में तो काफी इजाफा हुआ, थोड़ी दुनियादारी की समझ भी बढी पर किताबी ज्ञान के लिए वक्त नहीं बचा l गाँव से आकर पूरे दो सालों तक मैं बस फिल्मों की दुनिया में ही विचरण करता रहा जो थोड़ा बहुत समय मिला उसे शहर को समझने उससे तालमेल बिठाने में और घासलेटी साहित्य पढने में जाया कर दिया l
छविगृहों के चक्कर लगाते - लगाते और गाँव में खेती बारी करते - करते कब दो साल गुजर गए, कुछ पता ही न चला l बारहवीं का बोर्ड आ गया l पढाई कुछ थी नहीं और सेंटर था क्रिश्चियन कॉलेज l नक़ल का कोई जुगाड़ नहीं था l इम्तेहान के पर्चों में क्या लिखा कुछ पता नहीं l
नतीजतन इंटरमीडिएट में बस घिसट कर पास हो पाया l
इस बार नंबर थे उनतालीस प्रतिशत l फिजिक्स में धक्का मारकर पास किया गया l ग्रेस मार्क्स चार l
जारी है .....
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