कहाँ गए तुम पानी?
तुम बिन रोए यहाँ किसानी
कहाँ गए तुम पानी?
कहाँ गए तुम पानी?
बिना तुम्हारे
सब उजाड़ हैसन्नाटा पसरा है
पेड़ों का, मेड़ों का देखो
सबका मुहँ उतरा है
तालों से बेदखल हो गई
मछली जल की रानी
मछली जल की रानी
हाकिम की
आँखों से उतरे
घूरू की आंखों में
पानी तुम खेलते वहाँ पर
सपनों की राखों में
आँखों से उतरे
घूरू की आंखों में
पानी तुम खेलते वहाँ पर
सपनों की राखों में
चले गए तुम
चेहरों पर अब छाई है मुर्दानी
चेहरों पर अब छाई है मुर्दानी
जब तुम पैदा हुए
धान की
बालें थी लहराईं
ताल तलैया मिलने सब
घर की डेहरी तक आईं
धान की
बालें थी लहराईं
ताल तलैया मिलने सब
घर की डेहरी तक आईं
अम्मा सुना रही हैं
लेटे - लेटे हमें कहानी
लेटे - लेटे हमें कहानी
- प्रदीप शुक्ल
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