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चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल : कुछ नोट्स ( 3 )



       " जब बित्ता भरे का रहै, तब तो जिया लीन्हे रहौ, अब तुम जल्दी ते ठीक करौ यहिका " महिला ने रोते हुए डॉ से कुछ इस तरह बित्ता दिखाते हुए कहा कि डॉ कि हँसी छूट पड़ी. नकली गुस्सा दिखाते हुए डॉ ने कहा, " तुम अगर इसी तरह रोती चिल्लाती रहोगी तो तुम्हे मेडिकल कॉलेज भेजना पडेगा. इस तरह तुम्हारे बच्चे का इलाज मैं नहीं कर पाऊंगा." " अच्छा ठीक है अब न रोईबे हम " आंसू पोछते हुए महिला बोली.

       अभी दो दिन पहले तेज बुखार में बिक्कू झटके आने पर दुबारा भरती हुआ है हमारे यहाँ. वाकई ये बच्चा बहुत छोटा था जब पहली बार यहाँ भरती होने आया था, मात्र 900 ग्राम का. तब बिक्कू का नाम बेबी ऑफ़ रश्मि हुआ करता था. बिक्कू कि मम्मी तब भी बहुत परेशान रहती थी बिक्कू को लेकर. एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा वाली कहावत चरितार्थ करते हुए बिक्कू एक तो समय से काफी पहले इस दुनिया में आ गए, साथ ही दिल में एक छोटा सा छेद भी बना रखा है, जिसकी उसे जरूरत नहीं है. आशा और निराशा में झूलते हुए मम्मी ने पूरे पंद्रह दिन हमारे यहाँ काटे थे. काटना ही कहेंगे, लोग यहाँ दिन गुजारने तो नहीं ही आते हैं. पूरे दिन में कई - कई बार हंसती और रोती थी मम्मी. जाते समय हॉस्पिटल बिल को लेकर बहुत दुखी थे बिक्कू के मम्मी और पापा.

     अभी बिक्कू जी ग्यारह महीने के हो गए हैं और वजन है सात किलो दो सौ ग्राम. आज बिक्कू के डिस्चार्ज के समय बिक्कू कि मम्मी ने फिर आँखों में आंसू भर कर कहा, " अगली ( पिछली ) बार तो तुम काफी छोडि दीन्ह्यो रहै डाक्टर, अबकी हम ना कहिबे." उसने याद दिलाया कि पिछली बार NICU में पंद्रह दिन का बिल 55000 रु था जिसमे 15000 रु छोड़ दिए गए थे.
     " इनका पांच दिन का बिल दवाओं सहित 8167 रु है. जिसमे 8000 रु जमा कर दिए हैं इन्होने " रिसेप्शन की लड़की ने बिल दिखाते हुए कहा.
     बिक्कू अपने पापा कि गोदी में बैठा हुआ मुस्कुरा रहा है. बिक्कू कि मम्मी का संकेत है कि 167 रु छोड़ दिए जायं. डॉ ने पापा की ओर देखते हुए पूछा, क्या काम करते हो तुम? पेट्रोल पम्प पर काम करता हूँ सर. लड़की के हाथ से बिल लेकर उसमे 676 रु घटाते हुए डॉ ने कहा, " ठीक है दो दिन बाद दिखा लेना." रिसेप्शन कि लड़की ने जल्दी से कहा अरे सर! 8000 जमा हो चुके हैं, पहले ही.
    " तो क्या हुआ, 500 रु वापस करो इसे." डॉ ने घूरते हुए कहा. सर," अगली दफा अईबे तो लई अईबे " बिक्कू कि मम्मी ने कुछ अचकचाते हुए कहा. " क्यों, इस बार तुम्हारे पास ज्यादा पैसे हैं क्या? और हाँ पीजीआई में दिल की जांच जरूर करवा लेना फिर से, तभी आना मेरे पास." डॉ ने अगले मरीज के लिए घंटी बजाते हुए कहा.
    बिक्कू कि मम्मी आंसू पोंछती, हंसती, बिक्कू को दुलराती हुई, चैंबर से बाहर जा रही है.
    हर बार इस तरह की ही हैप्पी इंडिंग नहीं होती है हमारे यहाँ. डॉ के चैंबर से निकलने के बाद लोग कैसी कैसी तो बातें करते हैं. मैं तो अस्पताल हूँ मुझे तो सब सुनना पड़ता है. कभी मेरे नाम को गालियाँ कभी डॉ के नाम को. पर सुकून कि बात यह है कि गाली देने वालों कि संख्या बहुत कम रहती है. तभी तो मैं अभी ज़िंदा हूँ, खुश हूँ, और आपको किस्से सुनाने को तैयार रहता हूँ.
   अभी के लिए इतना ही, फिर हाजिर होऊंगा कुछ और किस्से लेकर.
धन्यवाद.
- प्रदीप शुक्ल
( क्रमशः जारी )

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