चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल : कुछ नोट्स ( 1 )
जी, मैं बच्चों का अस्पताल हूँ और बच्चों की रोने की आवाजें मुझे सुकून देती हैं. नहीं नहीं, बच्चों के हंसने के मैं विरुद्ध नहीं हूँ. लेकिन शांत, चुपचाप लेटे हुए बच्चे जो रो नहीं पा रहे, मुझे बेचैन कर देते हैं.
बारी बारी से या कोरस में रुक रुक कर रोते हुए बच्चे मुझे पसंद हैं. लेकिन, बहुत हिचकियाँ लेकर रोता हुआ एक ही बच्चा मुझे भी घबराहट से भर देता है.
रोते हुए बच्चे का हाथ पकड़ मेरी दीवार पर हौले से थप्पड़ मारती हुई माँ से मैं बिलकुल नहीं घबराता. नन्हे हाथों की गर्माहट मैं पसंद करता हूँ.
देखो अभी अभी एक जोर की चीख आई है डॉक्टर के कमरे से.
बाप रे! डेढ़ बरस का यह बच्चा कितनी जोर से दहाड़ता है. माँ के चेहरे पर पीड़ा के भाव कुछ क्षण के लिए आए और गए.
डॉ साब पहले तो कभी नहीं रोया किसी वैक्सीन के बाद इतनी जोर से? डॉ ने कार्ड भरते हुए बिना सिर उठाए कहा, " हाँ, अब आपका बच्चा बड़ा और समझदार हो गया है. पुराने इंजेक्शन के दर्द भी याद आ गए हैं. वैसे भी इस बार DPT का इंजेक्शन लगा है, अगले दो दिन तक दर्द करेगा और बुखार भी आ सकता है."
अब माँ के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ पढ़ी जा सकती हैं. कुछ दवा नहीं दे सकते डॉ साब?
हाँ देना है ना . ये पैरासिटामाल का सिरप छ: - छ: घंटे पर दे सकते हैं और बाईं तरफ वाली थाई पर जिसमे DPT लगा है, वहाँ साफ़ रुमाल में बर्फ लपेट कर सिंकाई भी कर सकते है. अगर दर्द हो तो. और हाँ, अभी आधे घंटे तक आपको यहीं अस्पताल में ही रुकना होगा. डॉ ने बिना अर्ध विराम या पूर्णविराम लगाए हुए एक ही वाक्य में ढेर सारा बोल दिया.
अब वह अपने दूसरे मरीज में व्यस्त हो रहा है. माँ ने घबराकर पूछा, " अभी और इंजेक्शन लगेगा क्या सर?"
नहीं नहीं, बस कोई भी इंजेक्शन लगवाने के बाद आपको आधे घंटे अस्पताल में ही रुकना है ताकि कोई रिएक्शन हो तो हम तुरंत ट्रीटमेंट कर सकें.
मतलब, रिएक्शन भी हो सकता है? इस बार पिता हड़बडा़ कर बोला जो अभी तक अपने फोन में वाट्स ऐप पर बिज़ी था.
अरे चिंता की कोई बात नहीं, रिएक्शन लाखों बच्चों में किसी एक को होता है. पर हमें नहीं पता कि वह बच्चा कौन सा होगा.
बाहर निकल कर माँ बच्चे को कोने में रखे ऐक्वैरियम में दौड़ती रंगीन मछली दिखा रही है.
ओ ले ले ...वो देखो किन्नी प्याली प्याली सी है. गोलू तुम्हे पता है इस फ़िश का नाम? थोड़ी देर के लिए बच्चा चुप होकर देख रहा है. फिर से उसे दर्द याद आ जाता है और रोना शुरू.
ये लो अभी दस मिनट ही हुए हैं और ये गोलू महराज लहराते हुए जीने पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. माँ पीछे पीछे दोनों हाथ फैलाए चेहरे पर दुलार, एक हाथ में पानी की बोतल और एक हाथ में पर्स लिए कोई हिलती हुई मूर्ति सी लग रही है.
पिता, काउंटर पर पैसा जमा करने के बाद फोन पर किसी से बातें करने में व्यस्त हैं.
( क्रमशः जारी )
- प्रदीप शुक्ल
Comments
Post a Comment