फ़ेल होने पर कभी आत्महत्या का विचार नहीं आया
बिहार बोर्ड के रिज़ल्ट को लेकर हिंदी पट्टी में अभी महाभारत मचा हुआ है. आज से तीस - पैंतीस साल पहले जब नक़ल का इतना बोलबाला नहीं था और सीबीएसई बोर्ड की तरह यू पी बोर्ड नंबरों को नानी की टाफियों की तरह नहीं बांटता था. तब भी रिज़ल्ट कुछ इसी तरह के आया करते थे.
तब भी मई जून में ही निकला होगा रिज़ल्ट. उन दिनों गाँव भर में विज्ञान का मैं अकेला विद्यार्थी था. मेरे बड़े भाई पहले ही विज्ञान विषय लेकर फ़ेल हो चुके थे हाईस्कूल में, अब मेरी बारी थी.
सुबह किसी ने खबर भिजवाई कि रिज़ल्ट निकला है भैय्या देखा जाय. बन्दर छाप काला दन्त मंजन थूक कर जल्दी से पैंट पहनी और भाग लिए 5 किलोमीटर दूर कस्बे नुमा गाँव या गाँव नुमा कस्बे में, जहाँ पेपर मिलने की उम्मीद थी.
वहाँ पहुँचते ही एक सहपाठी मिले जो पढने में मेरी तरह ठीक ठाक थे, कहा कि सब गुड़ गोबर हो गया यार, क्लास में किसी का नंबर अखबार में नहीं छपा है. मैंने एक बार मिमियाती आवाज़ में पूँछा - सच कह रहे हो ? लेकिन उसने उत्तर देने के बजाय आँखों में आँसू भर लिए. अब शक की कोई गुंजाईश कहाँ बची थी ?
घर में मेरा थोबड़ा देख कर किसी को रिज़ल्ट पूँछने की ज़रुरत नहीं थी. सभी अपने कामों में लगे थे किसी को गरियाने या दिलासा देने की भी फुरसत नहीं थी और न ही यह आवश्यकता महसूस हुई होगी. अलबत्ता माँ ने ज़रूर सर पर हाँथ फेरते हुए कहा " गिरते हैं घुड़सवार ही मैदाने जंग में " इससे आगे के शब्द उनको याद नहीं थे. मुझे याद थे लेकिन कंठ रुंधा हुआ था.
उस रात देर तक पता नहीं क्या क्या सोचता रहा. अपने गांव में सबसे होशियार लड़कों में मेरा शुमार था और मैं फेल हो गया था. दिल की धडकनें बढ़ी हुईं थीं. नींद आंखों से कोसों दूर. भविष्य के प्लान बनाता रहा पर एक क्षण के लिए भी आत्महत्या जैसा विचार दिमाग में नहीं आया.
लेकिन कहानी तो अभी बाकी है मेरे दोस्त - अगले दिन मन नहीं माना तो फिर भागे सुबह सुबह साइकिल ले कर. अब थोड़ी हिम्मत आ चुकी थी कि अखबार में नंबर खुद भी ढूंढ लें एक बार. तो साहब खोजने पर मिल गया अपना नंबर, बाकायदा चमक रहा था ( T ) के साथ.
हुर्रे !!!!!!! मैं पास हो गया था और मैं ही नहीं, पचपन जनों की भरी हुई क्लास में पूरे सात लोग पास हुए थे - सभी गाँधी डिवीज़न.
- प्रदीप शुक्ल
( अपना रिज़ल्ट, गाँव, विद्यालय और सहपाठियों को याद करते हुए )
( अपना रिज़ल्ट, गाँव, विद्यालय और सहपाठियों को याद करते हुए )
#रिज़ल्ट_डे ( २०१७ में फेसबुक पर लिखी पोस्ट )
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